तुम्हे आज ना सोचूं ...
सोचा तन्हाई में तुझे ना सोचूं ...
तू और तन्हाई ...
मुमकिन कहाँ थी ........
Sunday 17 July 2011
AAP.....NAHI ..TUM...........
कई बार सोचती हूँ..
कि तुम्हें आज न सोचूं...
और कुछ और
सोचूं..
..मैं..
सच..
कुछ और सोचा भी..
न जाने फिर भी...
..तुम..
जाड़ों की रात की सर्द हवा सी
तुम्हारी आवाज़...
भूल जाती हूँ सुनते-सुनते
कि क्या कह रहे हो..
अगर टोक के बीच में से पूछ लो कभी तो...
नहीं बता पाऊँगी...
कहाँ थे
..तुम..
तुम्हारी हंसी की सीढियां..
उतरती चढ़ती रहती हूँ..
..मैं..
जाओ अब ..
जाते हुए कहते हो जब..
मन चाहता है कि ठहर जाओ
और बस एक क्षण
..तुम..
by Dimple Malhotra
कि तुम्हें आज न सोचूं...
और कुछ और
सोचूं..
..मैं..
सच..
कुछ और सोचा भी..
न जाने फिर भी...
..तुम..
जाड़ों की रात की सर्द हवा सी
तुम्हारी आवाज़...
भूल जाती हूँ सुनते-सुनते
कि क्या कह रहे हो..
अगर टोक के बीच में से पूछ लो कभी तो...
नहीं बता पाऊँगी...
कहाँ थे
..तुम..
तुम्हारी हंसी की सीढियां..
उतरती चढ़ती रहती हूँ..
..मैं..
जाओ अब ..
जाते हुए कहते हो जब..
मन चाहता है कि ठहर जाओ
और बस एक क्षण
..तुम..
by Dimple Malhotra
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